Sunday, October 27, 2013

कुछ अनछुए जज़्बात

जब भी इस दिल को कुछ आरजू हुई,
महसूस किया  है तुमको.....
मेरे हर ज़ेहन में बसने लगा है तू ,
सोचता हूँ क्यूँ चाहा है इतना तुझको....

समझा न किसी ने गिला न हुआ,
पर तुमने भी समझा ना मुझको....
जाने दो यारो जी लेंगे हम,
सहारा दिया है सकी ने मुझको....

पूछते हो तुम की मैं पीता हूँ क्यूँ,
ज़माने का दर्द मिटाना है मुझको....
चाहत को मेरी भले तुम ना समझो,
न ही मुझे समझाना है तुमको....

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