Monday, June 16, 2014

आज फिर मचली है कलम मेरी

आज फिर मचली है कलम मेरी
कुछ फसाने लिखने को
कुछ सबको बताने को
कुछ तुमको सुनाने को

रहता हैं तू मेरे साथ मगर
कुछ दूरिया मिटने को
कुछ याद दिलाने को
कुछ शिकवे मिटाने को

दुनिया से मुझको रंज नहीं
इस हाल में लाने को
ये राह दिखने को
मुझे जीना सिखाने को

समझता हूँ तेरे हालत सभी
ये तुझे बताने को
तुझे साथ चलाने को
तुझे जीना सिखाने को

हँसता हूँ मैं भी जब खुश रहता है तू
ये तुझे समझाने को
ये याद दिलाने को
हर शिकवे मिटाने को

आज मचली थी कलम ऐ दिल
तुझे राह पे लाने को

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